Saturday, April 20, 2024
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वीडियोकॉन के दफ्तरों पर सीबीआई के छापे, चंदा कोचर-वीएन धूत के खिलाफ केस दर्ज

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  • CN24NEWS-24/01/2019
  • सीबीआई ने 3,250 करोड़ रुपए के आईसीआईसीआई बैंक- वीडियोकॉन ऋण मामले में अनियमितताओं के संबंध में छापेमारी के बाद बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर, वीडियोकॉन समूह के एमडी वीएन धूत और अन्य के खिलाफ  प्राथमिकी दर्ज की है।
  • गुरुवार को मुंबई में वीडियोकॉन समूह के मुख्यालय और औरंगाबाद में कार्यालयों में बृहस्पतिवार को छापे मारे। अधिकारियों ने बताया कि छापे मारने का काम बृहस्पतिवार सुबह शुरू किया गया। इस दौरान आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर द्वारा संचालित कंपनी न्यूपावर और सुप्रीम एनर्जी पर भी छापे मारे गए।
  • उन्होंने बताया कि ऐसा आरोप है कि 2012 में आईसीआईसीआई बैंक से वीडियोकॉन समूह को 3250 करोड़ रुपए का ऋण मिलने के कुछ महीनों बाद वीडियोकॉन प्रमोटर वेणुगोपाल धूत ने न्यूपावर में करोड़ों रुपए निवेश किए।अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने धूत, दीपक कोचर और अज्ञात अन्य के खिलाफ पिछले साल मार्च में एक प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थी। सीबीआई प्राथमिकी दर्ज करने से पहले पीई दर्ज करती है ताकि वह सबूत एकत्र कर सके। एजेंसी ने इस पीई को प्राथमिकी में बदल दिया है।  उन्होंने कहा कि आरोपियों के नाम और प्राथमिकी की विस्तृत जानकारी का अभी इंतजार किया जा रहा है।
  • बता दें कि चंदा कोचर के पति दीपक और वीडियोकॉन के मालिक धूत ने 2008 में 50-50 पार्टनरशिप में न्यूपावर रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड (एनआरपीएल) की स्थापना की थी, लेकिन धूत ने एक महीने बाद ही कंपनी के निदेशक के रूप में त्यागपत्र दे दिया और इसमें अपने शेयर दीपक के नाम ट्रांसफर कर दिए।इसके बाद 2010 में धूत के स्वामित्व वाली सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड ने एनआरपीएल को 64 करोड़ रुपये का लोन दे दिया। इसके बदले में न्यूपावर के शेयर सुप्रीम एनर्जी के नाम ट्रांसफर किए गए।

    सुप्रीम एनर्जी मार्च, 2010 तक न्यूपावर में 94.99 फीसदी की हिस्सेदार हो गई। बाकी 4.99 फीसदी शेयर दीपक के पास रहे। वर्ष 2010 से 2013 के बीच सुप्रीम एनर्जी की पूरी शेयरधारिता पहले महेश पुंगलिया को और फिर बाद में उनसे दीपक के स्वामित्व वाले एक ट्रस्ट को नौ लाख रुपये में ट्रांसफर कर दी गई।

    इसी दौरान 2012 में विडियोकॉन को आईसीआईसीआई बैंक से 3250 करोड़ रुपये का लोन मंजूर किया गया था। इसमें से 2849 करोड़ रुपये अब भी बकाया है और इस लोन एकाउंट को अब एनपीए यानी डूबा हुआ ऋण घोषित किया जा चुका है।

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